Buy Original Dhan Laxmi Kuber Yantra ( कुबेर यंत्र ) Online
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- यह यन्त्र घर मे सुख , समृद्धि , यश और वैभव लाता है , जिसकी वजह से आय की वृद्धि होती है।
- नए व्यापर को नयी ऊंचाइयों पे लेजाने में सहायक। घर या कार्यालय में स्थापना करने से भाग्योदय हो जाता है।
- कुबेर यन्त्र सकारात्मक ऊर्जा का स्रोर्त है। धन पे लगने वाली हर बुरी नजर से करता है बचाव।
- माँ लक्ष्मी की घर पे सदैव कृपा बानी रहती है गल्ले मे स्थापना से व्यापार मे वृद्धि होती है।
- सिद्ध श्री धन कुबेर यन्त्र वाले के नाम से , गोत्र से अभिमंत्रित किया जाता है। कोरियर के माध्यम से लोगो तक पहुंचाया जाता है।
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Description
धन कुबेर यन्त्र की पूजा से धन प्राप्ति के योग बनते है, इस यन्त्र के घर में होने मात्र से ही जीवन के आर्थिक कष्ट दूर होजाते है , इसके घर में या दफ्तर में स्थापन मात्र से ही भाग्यो उदय के संयोग बनजाते है। कुबेर धन यन्त्र से कुबेर देव जी की पूजा कृ जाती है जिससे उनकी कृपा द्रीष्टी हमपे और हमारे परिवार पे बानी रहती है और हमे किसी भी तरह की आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ता, इसके प्रभाव मात्र से ही अपार धन, नए साधन, अधिक आय का योग बनजाता है।
इस यन्त्र को कोई भी व्यक्ति अपने घर में धारण कर सकता है। इस यन्त्र को घर की तिजोरी या अलमारी में रखने से धन-वैभव का लाभ मिलता है। ऐसा माना जाता है की इस यन्त्र की आराधना करने से ही कुबेर देव प्रसन्न होजाते हैं, और घर में फैली दरिद्रता , नकारात्मकता का भी नाश होजाता है, यह यन्त्र यश , मान सम्मान भी बढ़ाता है
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पौराणिक कथाओ के अनुसार इस यन्त्र को आर्थिक स्तिथि सही करने हेतु या अपने शत्रुओ से निजात पाने हेतु भी स्थापित किया जाता है। कहते है की इसके स्थापन होने से माँ लक्ष्मी का वास घर में होजाता है और आराधना करने से वह हमेशा आपके घर में विराजमान रहती हैं। शास्त्रों की माने तो अगर कुबेर देवता को माँ लक्ष्मी के साथ स्थापित किया जाए तो वह जल्दी प्रसन्न होजाते हैं। वास्तु के अनुसार कुबेर धन यन्त्र को उत्तर दिशा में स्थापित करना चाहिए। कुबेर धन यन्त्र नया बिज़नेस , और व्यापारियों के लिए काफी लाभदायक होता है।
ध्यान रखे यह कुछ खास बातें :
- धन कुबेर यन्त्र को मंगलवार के दिन ही करे स्थापन।
- इस यन्त्र को उत्तर दिशा में करे स्थापित
- सुबह उठके नहाने के बाद सबसे पहले इसकी धुप डीप करे खली पेट।
- इस यन्त्र का भरपूर लाभ तभी है जब इसकी स्थापना प्राण-प्रतिष्ठान और पूरी तरह से शुद्धि करण करने के बाद किया गया हो।